सफे शॉप में फ्रॉड कैसे होता है?
Safe & Secure Online Marketing Private Limited यानि Safe Shop बाइनरी प्लान पर आधारित प्रचलित MLM कंपनी है। जो पिछले कई सालों से भारत में अपना नेटवर्क फैला रहीं है।
सेफ शॉप एक पैकेज आधारित बाइनरी प्लान कंपनी है, जिसपर बहुत से फ्रॉड के मामलें लगे है।
लीगल डायरेक्ट सेलिंग कंपनी लिस्ट में होने के बावजूद भी, आज भी इस कंपनी में फ्रॉड होते है। कंपनी के साथ-साथ इसमें मौजूद बड़े लीडर अधिकतर फ़्रॉड के लिए जिम्मेदार है, जिससे हज़ारो लोगों का लाखों में पैसा बर्बाद हुआ है।
यहाँ हम जानेंगे, कि Safe Shop में फ्रॉड कैसे-कैसे होता है, जिससे आप भी इस तरह के फ्रॉड से बच पाए।
Overpromise
सबसे ज्यादा फ्रॉड Overpromise के कारण होते है। इसमें लोगों को लाखों और करोड़ों कमाने का लालच दिया जाता है, खासकर गरीब और युवाओं को। जिससे ये इस जाल में फंस जाते है।
इन्हें यह नही बताया जाता, कि यह एक MLM कंपनी है, बल्कि जल्दी अमीर बनाने की स्किम बताते है।
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Investment
MLM कभी भी इन्वेस्टमेंट नहीं है और इससे बैठे-बैठे पैसे कमाने की उम्मीद नहीं कर सकते। इसमें प्रॉडक्ट सेलिंग और डाउनलाइन लाना जरूरी है।
लेकिन कितने फ्रॉड लीडर Safe Shop में, इसे इन्वेस्टमेंट बताते है और बिना कुछ किये पैसे कमाने का तरीका बताते है। जो कभी भी मुमकिन नहीं है।
Fix Salary & Job
MLM कभी भी फिक्स मासिक वेतन जॉब की तरह नहीं दे सकता। इसमें खुदकी और डाउनलाइन की बिक्री अनुसार इनकम बदलती रहती है और शुरू के 1 साल तो इनकम ना बराबर होती है। ऐसा ही कुछ सेफ शॉप में भी है।
लेकिन कई लीडर इसे जॉब की तरह बताते है और हर महीने फिक्स सैलरी देंने का जूठा वादा करते है।
टाटा और रिलायंस जैसी कंपनी का नाम लेकर फ्रॉड करना Safe Shop में आम बात है।
Training
अब एक और फ्रॉड ट्रेनिंग को लेकर सामने आता है। जिसमें पहले ही ट्रेनिंग के नाम पर 10-20 हज़ार रुपये लिये जाते है और शुरू में नहीं बताते, कि वे MLM वाले है।
अंत में ट्रेनिंग के नाम पर लूट करने के बाद सच्चाई सामने आती है। जिससे लोग MLM करने को मजबूर हो जाते है।
फ्रॉड से कैसे बचें?
इन फ्रॉड के पिछे कंपनी भी जिम्मेदार है। क्योंकि उनके आगे ही लीडर फ्रॉड करते है और कंपनी इनपर कार्यवाही नहीं करती है।
लेकिन इनसे बचने के लिए सबसे पहले इनकी बातों में कभी ना आये और जुड़ने से सीधा मना करें।
अगर कोई लीडर आपके साथ फ्रॉड करता है या कर चुका है, तो पहले कंपनी को शिकायत करें। अगर कंपनी कार्यवाही नहीं करती है, तो पुलिस में FIR दर्ज करवाये और उपभोक्ता न्ययालय में इसपर सुनवाई करवाएं।
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